इस्लाम में माँ और बाप के हुकूक
अस्सलाम वालेकुम प्यारे मुसलमान बहनों भाइयों आज की इस पोस्ट में हम आपको बताने वाले हैं कि इस्लाम में माँ और बाप के हुक़ूक़ क्या है तो अगर आप भी यह नहीं जानते कि इस्लाम में माँ और बाप के हुक़ूक़ क्या है और आप यह जानना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं इस पैगाम के अंदर हम आपको बताएंगे की मां और बाप के हुक़ूक़ क्या है
काफी सारे मुसलमान बहन भाई को नहीं पता की मां बाप के हुक़ूक़ क्या है लेकिन उन्हें यह पता करना बहुत जरूरी होता है क्योंकि अल्लाह ताला ने अपने बाद माँ और बाप का पहला दर्जा दिया है तो चलिए हम आपको बताते हैं की माँ और बाप के हुक़ूक़ क्या है इस्लाम के अंदर औलाद को अपने मां-बाप के साथ कैसा सुलुक करना चाहिए लिए जानते हैं|
मां बाप के हुक़ूक़
हमारे प्यारे नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि अपने मां-बाप का हक अदा करना नमाज जकात रोजा और हज से जब से ज्यादा जरूरी है सबसे ज्यादा अव्वल काम अपने मां-बाप का हक अदा करना है मां-बाप का हक अदा करना दुनिया में सबसे ज्यादा अहम है |
मां बाप के साथ अच्छा सुलूक करोगे तो तुम्हारी औलाद भी तुम्हारे साथ अच्छा सुलूक करेंगे और मां-बाप अल्लाह ताला की बहुत बड़ी नेमत है खुशनसीब है वह लोग जिनके मां-बाप जिंदा है और जो लोग अपने मां-बाप की एक कदर करते हैं उन्हें बहुत सवाब मिलता है अल्लाह ताला कुरान मस्जिद में फरमाता है कि तुम अपने मां-बाप के साथ अच्छा सुलूक करोगे तो तुम्हारी औलाद भी तुम्हारे साथ अच्छा सलूक करेंगे|
मां-बाप के साथ औलाद का सलूक
अल्लाह ताला ने फरमाया कि मेरी इबादत के बाद तुम्हारे लिए सबसे जरूरी तुम्हारे लिए तुम्हारे मां-बाप हैं अगर तुमने अपने मां-बाप को नाराज किया तो तुम्हें इसकी सजा दुनिया में ही मिलेगी अगर तू अपने मां-बाप के साथ जैसा सलूक करेगा वैसा ही सुलूक तेरी औलाद है तेरे साथ करेंगे हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जो शख्स अपने मां-बाप के साथ नाफरमानी करेगा उनकी बात नहीं मानेगा उनके कहने पर नहीं चलेगा या उनके खिलाफ जाएगा तो उसे शख्स ने अपने रिज्क को दिया |
और मां-बाप की नाफरमानी करने वाला शख्स कबीरा गुनाह में से एक होता है जो इंसान मां-बाप की कदर नहीं करता है और उनके साथ बस सल्लू की करता है उनकी नाफरमानी करता है तो उस शख्स को शबे कद्र की रात को भी माफी नहीं मिलेगी अल्लाह ताला ने कुरान मजीद में तीन लोगों पर जन्नत हराम की है जिनमें से एक मां-बाप की नाफरमानी करने वाला शख्स भी मौजूद है |
मां-बाप की नाफरमानी करने वाला शख्स को दुनिया में भी सजा मिलती है और आखिरत में आज का आजाद मिलता है यानी कि वह इंसान जहन्नम की आग में जाता है इसलिए अपने मां-बाप के साथ अच्छा सलूक करें और अपने मां-बाप की बात मानो और उनकी नाफरमानी ना करो बल्कि अगर मां-बाप बुजुर्ग है तो उनकी खिदमत करो|
मां-बाप के साथ हुस्ने सुलूक
अपने मां बाप के साथ बड़े ही लहजे एतराम से बात करा करो और अपने मां-बाप को खुश रखो और राजी रखने की कोशिश करते रहा करो क्योंकि आपकी मां जन्नत और आपका बाप जन्नत का वह आखिरी दरवाजा है अगर आपकी मां-बाप आपकी मौजूदगी में ही बुजुर्ग है तो उन्हें उसे तक ना कहें मां बाप को मोहब्बत की नजरों से देखें
एक हदीस में मालूम होता है कि अगर आपके मां-बाप आपसे नाराज हैं तो अल्लाह भी आपसे नाराज हो जाता है इसलिए हर वक्त अपने मां-बाप की बात मानते रहना चाहिए और उनके कहने पर चलना चाहिए|अगर आपकी मां-बाप इंतकाल फरमा गए हो तो उनके लिए कुरान का ईसाले सवाब पहुंचाना चाहिए और हफ्ते में एक बार मां-बाप की खबर पर जरूर जाना चाहिए और उनके मगफिरत की दुआ करते रहना चाहिए|
अपने मां बाप को मोहब्बत की नजरों से देखना भी इबादत है जो एक बार अपने मां-बाप को मोहब्बत की नजरों से देखा है उसे एक मकबूल हज के बराबर सवाब मिलता है एक शख्स ने नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से फरमाया कि मुझ पर सबसे ज्यादा खिदमत और उसने सुलूक का हक सबसे ज्यादा किसका तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया तुम्हारी मां फिर इसके बाद तुम्हारा बाप फिर तुम्हारे करीब रिश्तेदारों का|
अगर आपको दुनिया के साथ-साथ अपनी आखिरत की भी जिंदगी सुधारनी है तो अपने मां-बाप के साथ अच्छा सलूक किया करें और अपने मां-बाप की खिदमत किया करें अगर हमसे इस पैगाम के अंदर भूल चूक से लिखने में या फिर आपके सुनने में कोई गलती हुई हो तो अल्लाह हमें माफ करें और आपको इस चीज पर अमल करने की तौफीक अता फरमाए आमीन इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों को व्हाट्सएप पर शेयर करें जज़ाक अल्लाह खैर